Wednesday 17 January 2024

मेरे जाने के बाद

मेरे जाने के बाद
चर्चा होगी
मेरे बारे में

कैसी थी मैं
क्या बोलती थी

सोचा क्या करती थी
ये तो पता नहीं भई

 सर पर लट्टू नहीं लगे थे न
रोशनी वाले 
जो मन का मीटर समझते
और जल जाते

मेरे जाने के बाद
ये भी चर्चा होगी
मैंने कैसे अंतिम सांस लिया
कितनी बार सांस अटका
कितनी बार  सांस खींचा.. 

काश कि 
मेरे जीते जी ही कोई
मेरी आँखो में झाँक कर
हाथों को थाम कर
पूछ लेता
कैसी हूँ मैं... 






Sunday 15 October 2023

इंतज़ार और अभी..

रोज़ चाँद को निहारना 
उसका इंतजार करना 
जैसे तुम्हारे  आने की ही 
 राह  ताकना 

जिस दिन 
चाँद नहीं आता 
फिर भी वो दिशा निहारती हूँ
 उस  दिन ,
मालूम है यहाँ नहीं तो 
कहीं न कहीं तो निकला ही होगा 
चाँद ,
दुनिया का कोई तो कोना  
उसकी चांदनी से रोशन तो होगा ही 

तुम भी चाँद की तरह ही तो हो 
ना मालूम ,
मैं 
चाँद की राह ताकती हूँ या
 तुम्हारी  ,
चंद्रमा  की बढती-घटती  कलाओं के साथ 
झूलती रहती हूँ 
आशा -निराशा का हिंडोला ,
फिर भी वो दिशा निहारती हूँ 
जिस राह  से तुम कभी नहीं आओगे 
चाँद तो अमावस के बाद आता है 
और तुम ! 
शायद  हाँ ?
पर शायद नहीं ही आओगे 
फिर भी चाँद के साथ 
इंतजार तो करती ही हूँ  ....

Thursday 26 January 2023

लोकतंत्र

एक लोकतंत्र चलता है

 मेरे घर में भी 
 ,
यहाँ भी राज अम्माजी का

और नाम पिता जी का चलता है ...


मैंने अपने उनको 

चुन कर 

अपने सर पर बैठा रखा है 


बच्चे भी 

विपक्ष की भूमिका खूब 

निभाते हैं,


बार -बार बॉय -काट 

की धमकी देते है !


..........
और मैं !


 बेचारी जनता की तरह 

कुछ शंकित -आशंकित 

थोड़ी भ्रमित सी 
,
कभी अन्ना की तरह 


अनशन करती

डोलती रहती हूँ 
 ,
पक्ष -विपक्ष के बीच में !



लेकिन 

मेरे  इस लोक तंत्र में

 खुशियाँ ही खुशियाँ है ,

हंसी और खिलखिलाहटे भी है !

 .................
 किये गए सभी वायदे


पूरे किये जाते है 


यहाँ जनता से ,

और विपक्ष भी सत्ता 

के आगे सर झुकाए रहता है !


 ...........
यहाँ  फायदा नहीं उठाता


कोई किसी का

मेरे इस लोक तंत्र में राज 


जनता का ही 

चलता है !

Tuesday 20 September 2022

सुना है तुम चाँद पर रहने लगे हो..

सुना है तुम
चाँद पर रहने लगे हो

तो क्या हुआ फिर
चाँद अगर दूर है 

वह दूर तो है
दूसरों के लिए ही
मेरे लिए नहीं

छत पर
थाली में उतारूँगी चाँद को
पूनम की रात को
तुम भी मिलने चले आना.. 


Wednesday 12 January 2022

अगर मान सको तो..

जब भी तुम
कुछ सोचते हुए गुम हुए हो, 
उभरता है
ख्यालों के मध्य बिन्दु के पास
चमकता जो चंद्र बिन्दु 
वह मैं नहीं हूँ.. 
 
चंद्र बिन्दु जहाँ है
वहीं अच्छा है
मैं माथे की बिंदिया सी
ख्यालों का चंद्रबिंदु क्यूँ बनूं.. 

तुम्हें
तुम्हारे आस- पास जो
महकी सी हवा महसूस होती है
वही  हूँ मैं
अगर मान सको तो..

 


Thursday 17 June 2021

तुमने कहा था

तुमने कहा था
एक दिन
मुझे अपने दिल में 
 रखना
अगर न रख सको
जीवन की तंग, 
संकरी गलियों में... 

क्या तुम ज्योतिषी हो
या
हो भविष्य वक्ता , 
तुम्हारा स्थान 
सच में ही है 
दिल के तिकोने वाले
हिस्से में.. 

कितना अच्छा हुआ न
तुमने जो चाहा था
वही मिल गया... 

जीवन की तंग,
अकेलेपन की संकरी गली
मुझे मुबारक .. 



Friday 16 April 2021

वह बन बैठा है रब जैसा

कोई है 

जो है 

अपना सा 

मगर 

है वह 

अनजाना सा ...

हर रोज 

पाती लिखी जाती है

उसे  ...


हर रोज

दुआ में हाथ उठते हैं 

 सलामती की 

 होती है 

एक दुआ 

उसके नाम की भी 


मगर 

जाना-अनजाना 

बेखबर है 

मगन है 

कहीं दूर 

बहुत ही दूर ...


थोड़ा बहरा भी है 

शायद 

नहीं सुनती 

उसे  

मंदिर की घंटियां

ह्रदय की पुकार ही ...


वह बन बैठा है 

रब जैसा ,

शायद 

नहीं यकीनन ही 

बन बैठा है 

रब जैसा ही ...


रब 

जैसे ही वह 

दिखाई देता है 

मगर 

सुनाई नहीं देता ,

सुनवाई भी नहीं करता !