Thursday 13 September 2012

मुझे इंतज़ार है , ' आज ' का .........

अक्सर लोग एक 'कल ' के 
इंतज़ार में 
जिन्दगी ही गुज़ार देते हैं 
कल कभी आया भी है क्या ,
इंतजार ,

इंतज़ार और
बस इंतज़ार
के सिवा हासिल ही
क्या हुआ किसी को .......
पर मुझे नहीं है ,
किसी भी
'कल' का इंतज़ार .......
मुझे इंतज़ार है ,
' आज ' का
कल का क्या भरोसा
सूरज तो उगे पर
मैं देखने को हूँ भी
या नहीं ...............
ऐसे कल का क्या
फायदा ,
जिसके आने के इंतजार
में एक उम्र ही तमाम
हो जाये ........


सुनहरे कल के लिए ,
मुझे , वह 'आज '
नहीं जीना जिसमे
मुझे तिल-तिल कर
ही मरना हो ......
मुझे इंतज़ार है उस
'सुनहरे आज '
 का .....

7 comments:

  1. आज को सुनहरा बनाने के दर्शन को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. आपकी कविता उसी दिशा में जाती है. बहुत सुंदर.

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  2. मुझे इंतज़ार है उस
    'सुनहरे आज '
    का .....बहुत सुंदर रचना

    RECENT POST -मेरे सपनो का भारत

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  3. आज ही सच है ..... सुंदर प्रस्तुति

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  4. बहुत सुंदर रचना ...............मुझे इंतज़ार है उस
    'सुनहरे आज '
    का .....

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  5. वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे...

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  6. बहुत बढ़िया लिखा है.... शब्दों को इतना बढ़िया पिरोया है कि पढ़ के मजा आ गया......
    माननीय कभी पधारो म्यारे ब्लॉग...

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  7. आज ही सब कुछ है
    इस आज के हर पल को जीना है
    कल अपने आप सुन्दर होगा...
    बहुत सुन्दर रचना....
    :-)

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