Tuesday 31 December 2013

शायद सदियां भी तेरे इंतज़ार में अब काटनी है ...

ना जाने कितने पल
कितने दिन
कितने बरस
कितने युग
शायद सदियां भी
तेरे इंतज़ार में अब काटनी है

धुंधलाने लगी है
नज़रे मेरी अब ,
लेकिन
ना जाने ये आस क्यूँ नहीं
टूटी मेरी अब तक

एक पल को लगता है
तू मेरे सामने ही है ,
भ्रम ये कितना सुहाना है
इसी भ्रम के एक पल में
ना जाने कितने
जन्म जी जाती हूँ एक साथ

यही भ्रम
मेरी आस को टूटने नहीं देती
 अब भी तेरा इंतज़ार है
और अब
जाने कितने
जन्म भी
तेरे इंतज़ार में  काटने है

4 comments:

  1. सच, जीवन के लिए कुछ भ्रमों का बने रहना बहुत ज़रूरी है...!
    सुन्दर कविता!

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  2. सटीक
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
    नई पोस्ट नया वर्ष !
    नई पोस्ट मिशन मून

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  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को और सभी ब्लॉगर-मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है

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  4. बहुत सुन्दर , नव वर्ष २०१४ की शुभकामनाएं
    नया प्रकाशन -; जय हो विजय हो , नव वर्ष मंगलमय हो

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