Thursday 1 January 2015

बात करें हम कल ही की...

नए साल में
कल की बात
क्यों ना करें ,
कल से ही तो आज है....

कल थोड़ा गम था
आज खुशी की आशा है।
कल अंधकार था
आज रोशनी की ओर बढ़ते कदम है....

कल, कल - कल बहती नदिया थी
आज नदिया का सागर
बन जाने की तमन्ना है.....

कल की परछाई जब आज है ,
फिर क्यों ना करें
बातें कल की ,
आज का दिन भी
बन ही जाएगा कल। 

बात करें हम कल ही की
आने वाले कल की
आज की मुस्कान के
कल खिलखिलाहट बन जाने की...

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर .
    नव वर्ष की शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट : संस्कृत बनाम जर्मन और विलायती पारखी

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  2. कल, कल - कल बहती नदिया थी
    आज नदिया का सागर
    बन जाने की तमन्ना है.....
    प्रेरित करते सार्थक शब्द ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सुंदर भावाभिव्यक्ति...नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  5. सार्थक अभिवयक्ति......

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